Wednesday, November 23, 2016

SWOT ANALYSIS OF AYURVEDA


आयुर्वेद का स्वाॅट विश्लेषण




तेज़ी से बदल रहे विश्व में हरेक व्यक्ति, संस्था, व पद्धति का स्वाॅट विश्लेषण (SWOT Analysis) अनिवार्य होता जा रहा है। यह बात आयुर्वेद पर भी पूर्णरूपेण लागू होती है।

SWOT क्या है?
S: Strength (शक्ति)
W: Weakness (दुर्बलता)
O: Opportunities (अवसर)
T: Threats (भय)

शक्ति (Strength) व दुर्बलता (Weakness) भीतर रहते हैं, तथा अवसर (Opportunities) व भय (Threats) बाहर रहते हैं।

I. आयुर्वेद की शक्ति
(Strength)


1. आयुर्वेद का वैज्ञानिक (Scientific), सार्वभौमिक (Universal), व शाश्वत (Eternal) सिद्धांतों पर आधारित सम्पूर्ण जीवन विज्ञान होना;

2. समय की कसौटी पर खरा उतर कर विश्व के असंख्य लोगों को स्वास्थ्य प्रदान करने का गौरवपूर्ण इतिहास;

3. समष्टिपूर्ण दृष्टिकोण (Holistic approach) के कारण जीवन के सभी पहलुओं - स्वास्थ्य व रोग, जीवन व मृत्यु, व्यक्ति व ब्रह्माण्ड - से  जुड़ी समस्याओं के समाधान हेतु प्रयास करना;

4. औषधियों में रोगों की वास्तविक चिकित्सा करने की क्षमता;

5. औषधियों में कुप्रभावों का कम / न होना (विषों को छोड़);

6. संशमन के साथ-साथ संशोधन (पंचकर्म) चिकित्सा का होना;

7. आयुर्वेद का अध्ययन करने आने वाले छात्रों का उच्च बौद्धिक स्तर, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, व्यावहारिक सोच, स्पष्टवादिता, व कुछ कर दिखाने की ज्वलंत भावना;

8. विशेषकर युवा वैद्यों में आपस में संघर्ष के बजाय सहयोग करने की सराहनीय प्रवृत्ति।

II. आयुर्वेद की दुर्बलता
(Weakness)


1. कतिपय वैद्यों का आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों को भली प्रकार से न समझना, व चिकित्सा कार्य में उनका सम्यक् उपयोग न करना, अथवा मिथ्या उपयोग करना;

2. चिकित्सा विधियों का आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुरूप न होना;

3. तेज़ गति से कार्य करने वाली औषधियों का अभाव;

4. संज्ञाहरण (Anesthetics), गहन वेदनाहर (Potent analgesics), दारुण संक्रमणहर (Strong anti-infective) औषधियों का नितांत अभाव;

5. क्षारसूत्र को छोड़, आयुर्वेदीय शल्य चिकित्सा का वर्तमान युगानुरूप (Upsated) न होना;

6. वैद्य समाज के एक बड़े वर्ग द्वारा  (अपने-अपने कारणों से) आयुर्वेद के स्थान पर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान को अधिमान देना;

7. अन्य वैद्यों के विचारों के प्रति असहिष्णुता व अपने ही विचारों को सार्वभौमिक सत्य मानने की कतिपय वैद्यों की प्रवृत्ति;

8. सुनियोजित, दिशानुरूप, व सार्थक अनुसंधान (research) का अभाव;

9. कतिपय वैद्यों का दूसरे वैद्यों के साथ अपना अर्जित ज्ञान व अनुभव सांझा न करने की प्रवृत्ति;

10. कतिपय अध्यापकों द्वारा छात्रों को आयुर्वेद के प्रति निरन्तर निरुत्साहित करने की प्रवृत्ति;

11. कतिपय वैद्यों द्वारा आयुर्वेद में कुछ भी संशोधन, सुधार, व परिवर्तन न करने की हठधर्मिता;

12. कतिपय आयुर्वेद कॉलेजों में शिक्षा व व्यावहारिक चिकित्सा का स्तर आवश्यकता से नीचे होना;

13. कतिपय आयुर्वेदीय औषध निर्माता कम्पनियों द्वारा स्तरहीन व प्रभावहीन औषधियों का निर्माण;

14. आयुर्वेद में तकनीक (Technology) का समावेश न होना।


III. आयुर्वेद के लिए सुअवसर
(Opportunities)


1. भारतीय समाज के अधिसंख्य लोगों का आयुर्वेद पर दृढ़ विश्वास, इसके साथ भावनात्मक जुड़ाव, व इसे अपनाने की स्वीकार्यता;

2. भारत व विश्व में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के प्रति लोगों का तेज़ी से होता मोह भंग, उन्हें अनायास सर्वश्रेष्ठ विकल्प 'आयुर्वेद' की ओर धकेल रहा है;

3. भोजन-वस्त्र-गृह की आवश्यकता पूर्ण होने के पश्चात्, अब स्वस्थ, सुन्दर, युवा, व क्रियाशील रहने की लोगों की बढ़ती प्रवृत्ति, जिसमें आयुर्वेद निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम है;

4. अधिकाधिक सरकारी विभागों (अब कदाचित् सेना भी) द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा को दी जाने वाली मान्यता;

5. कतिपय बीमा कंपनियों द्वारा कतिपय अवस्थाओं में आयुर्वेद चिकित्सा के भुगतान की नवप्रवृत्ति (अभी काफी कुछ करना बाकी है);

6. माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दिशानिर्देशों पर केन्द्र व की राज्य सरकारों द्वारा आयुर्वेद को बढता राज्याश्रय।


IV. आयुर्वेद के लिए भय
(Threats)


1. चिकित्सा-विधियों व उनके परिणामों का, समाज की इच्छाओं व आकांक्षाओं के अनुरूप न होने से, कई लोग चाहते हुए भी आयुर्वेद को अपना नहीें पाते व अन्य चिकित्सा पद्धतियों को अपनाने के लिए बाध्य हो जाते हैं;

2. आयुर्वेद की वानस्पतिक औषधियों में से निकाले गए कार्यकारी तत्वों (active principles - alkaloids, glycoside etc. and their fractions) का आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में तेज़ी से हो रहा समावेश  (eg, curcumin) जबकि आयुर्वेदीय औषध निर्माण में इनके उपयोग की मनाही;

3. तेज़ी से कम होती जा रही आयुर्वेद की औषधियाँ;

4. अधिकांश ऐलोपैथिक डाॅक्टरों द्वारा आयुर्वेद के विरुद्ध ईर्ष्यावश किया जाने वाला निरन्तर दुष्प्रचार;

5. कतिपय सरकारी अधिकारियों का निजी स्वार्थों, आयुर्वेद की सही जानकारी के अभाव, अथवा आयुर्वेद के प्रति असहिष्णुता के कारण इसके विकास में बाधक होना;

6. आयुर्वेद में प्रयुक्त होने वाली कच्ची औषधियों (Raw drugs) के लगातार बढ़ते मूल्य, व इससे निर्मित औषधियों (Finished medicines) की लगातार हो रही मूल्य वृद्धि;


7. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की चकाचौंध, तेज़ी से कार्य करने वाली औषधियों, आधुनिक औषधि निर्माता कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्रलोभनों, व ऐलोपैथिक डाॅक्टरों की सरलता से ज्ञान व अनुभव सांझा करने की प्रवृत्ति से आयुर्वेद के युवा चिकित्सकों का आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की ओर आकर्षित होना।


डाॅ.वसिष्ठ
Dr. Sunil Vasishth
M. + 91-9419205439
Email : drvasishthsunil@gmail.com
Website : www.drvasishths.com

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