Wednesday, November 23, 2016

आधुनिक जीवनशैली कर रही है युवाओं को रोगग्रस्त

Modern lifestyle is making the youth sick



कुछ दिन पूर्व मैं चण्डीगढ़ से सटे पंचकूला (हरियाणा) में था। यह एक सुन्दर, आधुनिक नगर है जो किसी को भी प्रभावित कर सकता है - चौड़ी सड़कें, बड़े-बड़े माॅल, फास्ट फूड खिलाने वाले आधुनिक रैस्टोराँ, अत्याधुनिक सुख-सुविधाओं से युक्त भव्य घर-मकान, बड़े-बड़े गोल-चक्कर (Roundabouts), सुन्दर पार्क, व हरियाली ।
दूसरी ओर, यहाँ के निवासियों (विशेष कर युवा वर्ग) की जीवनशैली पूरी तरह से आधुनिक है - फास्ट फूड, बहुत कम शारीरिक श्रम, मानसिक तनाव, देर रात तक जगना, रात को देर से भोजन करना, सुबह देर तक सोते रहना, इत्यादि ।
कहने की आवश्यकता नहीं कि उपरोक्त जीवनशैली युवा वर्ग में कई प्रकार के रोगों को बढ़ावा दे रही है जिससे स्थानीय बड़े-बुज़ुर्गों का चिन्तित होना स्वाभाविक है।
इस विषय में जब मैंने सैक्टर 9 स्थित राजकीय आयुर्वैदिक डिस्पैन्सरी व पञ्चकर्म चिकित्सालय में कार्यरत आयुर्वैदिक मैडीकल ऑफीसर डाॅ. सान्त्वना शर्मा जी (Mobile 9463446270) से बात की तो उन्होंने युवा वर्ग में होने वाले रोगों से जुड़े कई अनुभव बता डाले, जो चौंकाने वाले थे।
डाॅ. सान्त्वना शर्मा जी ने कहा कि उनके विचार में युवाओं में होने वाली कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का मूल कारण आधुनिक जीवनशैली ही है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से उन्होंने देखा है कि युवा लड़कियों के साथ-साथ युवा लड़कों में भी अब टी.एॅस.एॅच. (TSH) बढ़ने का प्रचलन बढ़ा है जो हाय्पो-थायराइडिज्म का द्योतक है । इसके लिए कुछ और नहीं बल्कि आधुनिक जीवनशैली ही उत्तरदायी है।
हाय्पो-थायराइडिज्म आगे चल कर अनेकों रोगों व स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ को जन्म देती है, जैसे हृदयरोग (CAD), स्थौल्य (Obesity), रक्त में कोलेस्टरॉल व वसा की वृद्धि (Raised blood cholesterol & triglycerides), व अस्थिक्षय (Osteoporosis) इत्यादि।
और तो और, युवा लड़कियों में तेज़ी से प्रचलित होते पोलि-सिस्टिक ओवेरियन डिज़ीज़ (PCOD / PCOS) व उससे होने वाले वन्ध्यत्व (Infertility) के तार भी इसी जीवनशैली व उससे उत्पन्न होने वाले हाय्पो-थायराइडिज्म से ही जुड़े लगते हैं।
आधुनिक जीवनशैली से होने वाली युवा वर्ग में स्वास्थ्य सम्बन्धी अगली समस्या है - बढ़ता मानसिक तनाव (Mental stress), चिन्ता (Anxiety neurosis), व मनोअवसाद (Mental depression)।
डाॅ. सान्त्वना जी ने आगे कहा कि उनकी नज़र में आधुनिक जीवनशैली ही युवाओं में समयपूर्व होने वाली मधुमेह (Early diabetes) व कभी-कभी पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) का कारण बनती है।
डाॅ. सान्त्वना जी ने दृढ़तापूर्वक कहा कि आयुर्वेद में बताए गए आहार-विहार-आचार व चिकित्सा से आधुनिक जीवनशैली से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का काफी हद तक निवारण करते हुए समाज के स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है।
आधुनिक जीवनशैली से युवा वर्ग में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के गहन अध्ययन व आयुर्वेद के द्वारा उनके निवारण सम्बन्धी डाॅ. सान्त्वना शर्मा जी के विचारों से मैं प्रभावित हुए बिना न रह सका।
एक ओर मैं जहाँ आधुनिक जीवनशैली के कुप्रभावों से चिंतित था, वहीं दूसरी ओर मैं प्रसन्न था कि हमारे देश में डाॅ. सान्त्वना शर्मा जी जैसे मेधावी आयुर्वेद चिकित्सक भी हैं, जो न केवल आधुनिक समाज में होने वाले रोगों के कारणों पर अपनी पैनी नज़र रखे हैं, अपितु आयुर्वेद के द्वारा रोगों की चिकित्सा व स्वास्थ्य वृद्धि में अपना भरपूर योगदान भी दे रहे हैं।
निश्चित ही विश्व को आज ऐसे ही विचारों वाले व समाज को समर्पित आयुर्वेद चिकित्सकों की बहुत आवश्यकता है।


डाॅ.वसिष्ठ
Dr. Sunil Vasishth
M. + 91-9419205439
Email : drvasishthsunil@gmail.com

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