Thursday, December 29, 2016

Dr.Vasishth's U-CAP for Young Ayurveda Doctors for Result-oriented Ayurveda Treatment - 4

आयुर्वेद की अद्भुत शक्तियों का भरपूर उपयोग करने की आदत डालें

(Develop the habit of making best use of the Unique Strengths of ayurveda)


प्रिय युवा आयुर्वेद चिकित्सक!  

आप सौभाग्यशाली हैं कि आपको इक्कीसवीं शताब्दी में आयुर्वेद चिकित्सक बन कर लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा व उन्हें होने वाले रोगों की चिकित्सा करने का सुनहरा अवसर मिला है।

मेरा मानना है कि विश्व को आयुर्वेद की जितनी आवश्यकता आज है, उतनी कदाचित् पहले कभी नहीं रही। यानि, बदलते परिवेश के साथ-साथ आयुर्वेद की प्रासंगिकता (Relevance) व उपयोगिता (Value) भी तेज़ी से बढ़ती चली जा रही है। 

आज विश्व कुछ ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा है जो आज से पूर्व के मानव के सामने कभी थीं ही नहीं। सौभाग्यवश, आयुर्वेद न केवल मानव की इन चुनौतियों का सफल निराकरण कर सकने की क्षमता रखता है, अपितु लोगों को आदर्श स्वास्थ्य भी दे सकता है। बस, ज़रूरत है तो आयुर्वेद की अद्भुत् शक्तियों (Unique Strengths) को पहचानने, उन्हें युगानुरूप (Updated) बनाने, व प्रैक्टीकल अप्रोच अपनाते हुए उनका भरपूर उपयोग करने की।

आज मैं आयुर्वेद की तीन ऐसी अद्भुत् शक्तियों (Unique Strengths) के उपयोग की चर्चा करने जा रहा हूँ, जो अन्य चिकित्सा पद्धतियों में नहीं हैं अथवा उतनी अधिक विकसित नहीं हैं।

मेरा आग्रह है कि आप इन्हें अच्छी तरह से पढ़ें, समझें, व अधिक से अधिक अपना कर उनका चिकित्सा में भरपूर उपयोग करें ।

डाॅ.वसिष्ठ


आधुनिक युग में रोग पैदा करने वाले कुछ मुख्य हेतु:

पहले एक नज़र डालते हैं उन कारणों पर जो आजकल अधिकांश लोगों को बीमार करने के लिए ज़िम्मेदार हैं - 

1. विद्युत्-चुम्बकीय विकिरण (Electro-magnetic radiation) - आज हम विद्युत्-चुम्बकीय विकिरण (Electro-magnetic radiation) के जिस महासागर में जी रहे हैं, उससे मानव देह पर मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं - (i) ऊष्मीय प्रभाव (Thermal effects) - जिनसे देह में गर्मी बढ़ती है व देह धातु जलने लगते हैं, व  (ii) अनुष्मीय प्रभाव (Non-thermal effects) -  जिनसे देह के कोषाणुओं में कई प्रकार की विकृतियाँ होकर नर्व डैमिज व कैंसर जैसे रोग होने की सम्भावना होती है।    

2. पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution)

3. अत्यधिक मानसिक तनाव (Excessive mental stress)

4. गुरु-मधुर-लवण आहार (Junk food) का अत्यधिक सेवन

5. रात्रिजागरण (Staying awake late night)

6. तम्बाकू (Tobacco)

7. मद्यपान (Alcoholism)

8. अचेष्टा (Lack of physical activity)

9. विषाक्त ऐलोपैथिक औषधियाँ (Toxic drugs)

10. देह की ग़लत मुद्राएँ (Wrong body postures), इत्यादि।

आयुर्वेद की तीन अद्भुत् शक्तियाँ (Three Unique Strengths of Ayurveda:)

अब चर्चा करते हैं, उपरोक्त कारणों से मानव देह पर पड़ने वाले कुप्रभावों के निराकरण में उपयोगी आयुर्वेद की तीन अद्भुत् शक्तियों (Three Unique Strengths of Ayurveda) की - 

शक्ति नं. 1
रसायन औषधियाँ (Antioxidants):

यह मानवता का सौभाग्य है कि आयुर्वेद के मनीषियों ने कुछ ऐसी अद्भुत् रसायन औषधियों को ढूँढ निकाला जो कई प्रकार से व्यक्ति के व्याधिक्षमत्व (Immunity) को बढ़ाती हैं व रोग पैदा करने वाले अनेकों कारणों के प्रभाव का निराकरण करती हैं ।

आपको बस यह सुनिश्चित करना होगा कि आप अपने हरेक चिकित्सा-व्यवस्था-पत्र (Prescription) में कोई न कोई रसायन औषधि अवश्य लिखें।

MINOVIT Tablet
देह के प्रत्येक कोषाणु (Cell), धातु (Tissue), अवयव (Organ), व संस्थान (System) को बल देने वाला आदर्श रसायन-योग


आपकी इस आदत से आपको चिकित्सा में अधिक सफलता मिलेगी । साथ ही रोग के पुनः होने की सम्भावना भी कम रहेगी। 

OSSIE Tablet
कैल्शियम (Calcium), विटामिन सी (Vitamin C), ज़िंक (Zinc), व अनेकों ट्रेस मिनरल्ज़ (Trace minerals) की आपूर्ति (Supplementation) के लिए आदर्श रसायन-योग


स्मरण रहे, इसी सिद्धांत पर अनेकों ऐलोपैथिक डाॅक्टर अपने रोगियों को विटामिन्स, मिनरल्ज़ व अन्य कई प्रकार के टाॅनिक्स नियमित रूप से लिखा करते हैं। मगर, सत्य तो यह है कि आयुर्वेद के रसायन व्याधिक्षमत्व (Immunity) बढ़ाने में ऐलोपैथिक विटामिन्स, मिनरल्ज़ व टाॅनिक्स से कहीं बेहतर साबित होते हैं।

शक्ति नं. 2
मेध्य रसायन औषधियाँ (Neurotropics):

आधुनिक युग में मानसिक तनाव चरम सीमा पर है । आज अधिकांश रोगों की उत्पत्ति में व्यक्ति के मानसिक तनाव का कुछ न कुछ योगदान अवश्य रहता है। सफल चिकित्सा के लिए मानसिक तनाव को कम करना अनिवार्य रहता है। 

यह हमारा परम सौभाग्य है कि आयुर्वेद के मनीषियों ने मानसिक तनाव को कम करने व मानस स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए अनेकों अद्भुत उपाय बताए हैं जिनमें मेध्य रसायन औषधियों का उपयोग भी शामिल है।

आपको बस इन मेध्य रसायन औषधियों के नियमित उपयोग करने आदत डालनी है । 

मेध्य रसायन औषधियाँ (Neurotropic drugs) व्यक्ति के मस्तिष्क (Brain) में मौज़ूद कई प्रकार के तत्वों (Neuro-transmitters & other substances) में साम्यता लाते हुए मानसिक तनाव के प्रभावों का निराकरण करती हैं व मानस स्वास्थ्य बढ़ाती हैं । अतः प्रत्येक चिकित्सा-व्यवस्था-पत्र (Prescription) में कोई न कोई रसायन औषधि अवश्य लिखें।
 
MENTOCALM Tablet
तनावग्रस्त मन को शान्त करने व  मन को बल देने वाला आदर्श मेध्य-रसायन-योग


स्मरण रहे, इसी सिद्धांत पर ऐलोपैथिक डाॅक्टर अपने अनेकों रोगियों को कई प्रकार की मनोशामक (Tranquilliser) व मनोत्तेजक (Antidepressant) दवाएँ लिखते हैं।
 
ELEVA Tablet
उदास (Depressed) मन को बल देने वाला आदर्श मनोबल्य  (Antidepressant) मेध्य-रसायन-योग


शक्ति नं. 3
यकृद्बल्य औषधियाँ (Hepatoprotectives):

देह को जीवित व स्वस्थ रखने के लिए पाकस्थली (Kitchen) का कार्य करने वाला यकृत् (Liver) कई प्रकार के अति-महत्वपूर्ण कार्य करता है, जिनमें व्याधिक्षमत्व (Immunity) प्रदान करने वाले तत्वों (Substances) के निर्माण के साथ-साथ उन विषों (Toxins) का निर्विषीकरण (Detoxification) भी शामिल है जो या तो प्रदूषण, विषैली औषधियों, विषाक्त आहार इत्यादि के माध्यम से बाहर से देह में प्रविष्ट होते हैं, अथवा देह के भीतर आम-विष के रूप में पैदा होते हैं।

आप यह आदत बनाएँ कि अपने प्रत्येक चिकित्सा-व्यवस्था-पत्र (Prescription) में यकृत् को बल व सुरक्षा देने वाली कोई न कोई औषधि अवश्य लिखी जाए। 

LIVIE Tablet
यकृत् को बल व सुरक्षा देने वाला आदर्श यकृद्बल्य (Hepato-protective) औषध-योग


यह हमारा परम सौभाग्य है कि यकृत् को बल व सुरक्षा देने वाली अनेकों अतुलनीय व अद्भुत औषधियाँ मौजूद हैं । बस प्रत्येक रोगी में उन औषधियों का नियमित उपयोग करने की आदत भर डालने की जरूरत है। 

क्र्मशः
 
 

डाॅ.वसिष्ठ
Dr. Sunil Vasishth
M. + 91-9419205439
Email : drvasishthsunil@gmail.com 

Website : www.drvasishths.com
 

No comments:

Post a Comment