हृद्-दरः (Palpitation)
जब व्यक्ति को अपने हृदय की धड़कन स्वयं ही महसूस होने लगे तो उसे हृद्-दरः (Palpitation) कहते हैं।
चिकित्सा के लिए आने वाले रोगियों की यह बहुत आम सी शिकायत रहती है।
हमें हृद्-दरः (Palpitation) के मुख्य कारणों को सदा मन में रखना चाहिए, जो निम्न हैं -
I. प्राकृत हेतु (Physiological causes):
- शारीरिक श्रम (Physical activity) करने पर;
- भावुक (Emotional) - काम-क्रोध-ईर्ष्या-द्वेष इत्यादि होने पर।
II. हृदय को उत्तेजित करने वाले द्रव्यों (Cardiac stimulants):
- चाय, काॅफ़ी, तम्बाकू, मद्यपान - के अत्यधिक सेवन करने पर।
III. चिन्ता रोग / मनोद्वेग (Anxiety neurosis)
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चिन्ता कम करके हृद्-दरः (Palpitation) में लाभ करती है!
IV. हृदय के आवश्यकता से अधिक कार्य करने पर:
- रक्ताल्पता / पाण्डु (Anemia);
- अत्यग्नि / समान-वायु-वृद्धि (Hyperthyroidism);
- बेरी-बेरी (Beriberi);
- अलिन्द-निलीय नालव्रण (Atrio-ventricular fistula)।
V. अनियमित-हृद्गति (Cardiac arrhythmia):
- अधि-हृत्प्रकुञ्चन (Extrasystole);
- सवेग-हृद्-गत्याधिक्य (Paroxysmal tachycardia);
- अलिन्दीय तन्तुविकसन (Atrial fibrillation);
- हृद्-तरंग-अवरोध (Heart block)।
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हृद्-गति-आधिक्य (Tachycardia) /अनियमित हृद्-गति (Irregular heart beat) को नियमित करके हृद्-दरः (Palpitation) में लाभ करती है!
VI. मिश्रित हेतु (Miscellaneous causes):
- रक्त-शर्करा-अल्पता (Hypoglycemia);
- अधिवृक्क्-अर्बुद (Pheochromocytoma);
VII. औषधियाँ (Drugs):
- हृदय-उत्तेजक औषधियाँ (Cardiac stimulants);
- नायट्रेट्स (Nitrates);
- हृत्पत्री मात्रा-आधिक्य (Digitalis overdose);
- इन्सुलिन मात्रा-आधिक्य (Insulin overdose);
- थायराक्सिन मात्रा-आधिक्य (Thyroxin overdose)।
नोट:
विषय को पूरित (Complete) व अद्यतन (Update) करने के लिए आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के आधार पर कतिपय रोगों, अवस्थाओं, व औषधियों का नामोल्लेख किया गया है।
डाॅ.वसिष्ठ
Dr. Sunil Vasishth
M. + 91-9419205439
Email : drvasishthsunil@gmail.com
Website : www.drvasishths.com
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