Tuesday, December 20, 2016

वर्तमान समय में आयुर्वेद की स्थिति

CURRENT TRENDS IN AYURVEDA

 

समय (Time) बदलने के साथ लोगों की जीवनशैली (Lifestyle) बदलती है; जीवनशैली के बदलने पर लोगों की ज़रूरतें (Needs) बदलती हैं, तथा ज़रूरतें बदलने पर उनको पूरा करने की पद्धतियों (Systems) में भी बदलाव लाना ज़रूरी होता है।

ऐसा नहीं होने पर पद्धतियाँ (Systems) अप्रासंगिक (Irrelevant) हो जाती हैं। यह तथ्य आयुर्वेद पर भी लागू होता है।

यह सच है कि आयुर्वेद प्रकृति के शाश्वत सिद्धांतों (Principles) पर उदित व विकसित हुआ है। किंतु यह भी सच है कि पांच हज़ार वर्ष पूर्व प्रचलित इसकी अनेकों प्रयोग-विधियाँ (Practices) आज के परिप्रेक्ष्य में उतनी कारगर सिद्ध नहीं होतीं तथा उन्हें अद्यतन (Update) करने की बहुत आवश्यकता है।

आज के युग में आयुर्वेद की क्या स्थिति है व इससे सम्बन्धित विभिन्न पक्षों की आवश्यकताएँ व इच्छाएँ (Needs & desires) क्या हैं, आइए देखते हैं - 

I. आयुर्वेद का छात्र (Ayurveda student):
  • मुझे संस्कृत नहीं आती। श्लोक मत बोलिए, वे मेरी समझ से परे हैं। किसी ऐसी भाषा में पढ़ाइए जो मुझे समझ में आ सके!
  • आयुर्वेद के सिद्धांत षड्दर्शन (Philosophy) पर आधारित हैं जो मेरी समझ से परे हैं। मेरी अब तक की सारी पढ़ाई तो बायाॅलॅजी, फिज़िक्स, कैमिस्ट्री इत्यादि मूलभूत विज्ञानों (Basic sciences) में हुई है। जहाँ तक सम्भव हो आयुर्वेद के सिद्धांतों (Principles) व प्रयोग-विधियों (Practices) को इन्हीं मूलभूत विज्ञानों (Basic sciences) के साथ सहसंबन्धित (Correlate) करके पढ़ाईए न, ताकि मुझे भली प्रकार से समझ में आ सके।
  • मेरे काॅलिज में पूरा स्टाॅफ़ नहीं है इसलिए ठीक ढंग से पढ़ाई ही नहीं होती।
  • मेरे काॅलिज के टीचर्स आयुर्वेद को लेकर हमेशा मुझे डिस्करिज करते हैं। जब उन्हें खुद ही आयुर्वेद पर विश्वास नहीं तो हमें कहाँ से विश्वास दिला पाएँगे ।
  • मेरे काॅलिज के कई टीचर्ज़ को खुद ही आयुर्वेद नहीं आता। वे तो अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस में भी 100% ऐलोपैथिक दवाईयाँ ही यूज़ करते हैं।
  • मेरे काॅलिज के अस्पताल में न के बराबर पेशंट्स आते हैं। फिर क्लीनिकल नाॅलिज कहाँ से होगा।

SAMVYAN Tablet
Complete anti-hypertensive


II. रोगी (Patient):
  • मेरे पास समय नहीं है, मुझे ज़ल्दी से ज़ल्दी ठीक कर दीजिए! 
  • मैं ज़्यादा दवाई नहीं खा सकता। जहाँ तक हो सके मुझे कम से कम दवाई दीजिएगा ।  
  • मैं जाॅब करता हूँ। बार-बार दवाई नहीं खा सकता। दवा दिन में दो बार ही ले पाऊँगा!
  • ऐसी दवाई दीजिएगा जिसका स्वाद बहुत ज्यादा खराब न हो!
  • परहेज़ कम ही बताईएगा, मैं ज़्यादा परहेज़ नहीं कर सकता!

ENTRID Tablet
Complete anti-dysenteric


III. समाज (Society):
  • आयुर्वेद की दवाईयाँ बहुत आहिस्ता-आहिस्ता काम करती हैं। आजकल इतना समय नहीं है।
  • आयुर्वेद की दवाईयाँ सिर्फ़ पुरानी बिमारियों में ही फ़ायदा करती हैं, नई बिमारियों में नहीं। इसलिए आमतौर पर हम आयुर्वेद से ईलाज़ तभी लेते हैं जब बीमारी पुरानी हो व ऐलोपैथी से ठीक न हो। 
  • आयुर्वेद के डाॅक्टर्स परहेज़ बहुत बताते हैं जिसे आज की तेज़ ज़िन्दगी में फ़ाॅलो करना पाॅसिबल ही नहीं।
  • आयुर्वेद के कई डाॅक्टर्स आयुर्वैदिक दवा के नाम पे स्टीराॅयड देते हैं। मेरा तो विश्वास ही उठ गया है।
  • आयुर्वेद की दवाईयाँ गर्म होती हैं। और मुझे गर्म दवा सूट नहीं करती।
  • मैंने सुना है आयुर्वेद की दवाईयाँ किडनी और लिवर डैमिज करती हैं। मुझे उनसे बहुत डर लगता है कि कहीं लेने के देने न पड़ जाएँ।

THYRIN Tablet
Remedy for hypothyroidism

 
IV. युवा आयुर्वेद चिकित्सक (Young ayurveda doctor):
  • मेरे पास चिकित्सा करने लायक अनुभव नहीं। आयुर्वेद चिकित्सा तो करना चाहता हूँ पर कोई गाईड ही नहीं करता। आयुर्वेद की पुस्तकें भी प्रैक्टीकल नहीं हैं । कम से कम अच्छी पुस्तकें ही लिखिए ताकि कोई सही रास्ता तो मिले।
  • ऐलोपैथी की तरह ही आयुर्वेद में भी हरेक डिज़ीज़ के लिए अलग से ट्रीटमंट प्रोटोकाॅल (Treatment Protocol) होना चाहिए ताकि चिकित्सा करते समय निश्चित दिशानिर्देश तो मिल सकें।
  • आयुर्वेद के सीनियर डाॅक्टर्स अपने इक्स्पीरियंस छुपा कर रखते हैं व पूछने पर बताते नहीं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। आखिर हम इसके लिए और कहाँ जाएँ?

NUBON Tablet
Remedy for osteoporosis


V. आयुर्वेद चिकित्सक (Ayurveda Doctor):
  • आयुर्वेद की ज़्यादातर फार्मा कम्पनियाँ सबस्टैंडर्ड दवाईयाँ बनाती हैं, जिनका रिज़ल्ट ही नहीं होता। 
  • कुछ कम्पनियों की दवाईयाँ तो इफ्फैक्टिव होती हैं पर वे मंहगी होती हैं, जिन्हें मेरे पास आने वाले ज़्यादातर मरीज़ एॅफोर्ड नहीं कर पाते।
  • मेरे पास रोगी अक्सर तब आते हैं जब वे कहीं और ठीक नहीं होते। तब आयुर्वेद की दवा क्या करेगी? आखिर यह दवा है कोई जादू नहीं। फिर भी हम ऐसी स्टेज में भी रिजल्ट दे देते हैं जहाँ ठीक होने की कोई गुञ्जायश ही नहीं रहती। हम और अच्छा कर सकते हैं, अगर रोगी हमारे पास इनीशल स्टेज में आ जाए तो।

OSSIE Tablet
Complete calcium supplement


VI. आयुर्वेद की फार्मा कम्पनियाँ (Ayurveda Pharma Companies):
  • आयुर्वेद की जड़ी-बूटीयाँ धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं।  इस कारण इनकी कीमत आकाश को छूती जा रही है।
  • ओवरऑल मंहगाई की दर बढ़ने से प्रोडक्शन कॉस्ट, मार्केटिंग काॅस्ट वगैरा का बढ़ना लाज़मी है। उसका असर आयुर्वेद की दवाईयों पर भी पड़ता है। यह हमारे कन्ट्रोल से बाहर है।
  • आयुर्वेद के कई डाॅक्टर्स आयुर्वेद के बजाए ऐलोपैथिक दवाईयाँ इस्तेमाल करते हैं । इससे हमारी आयुर्वेद की फार्मा इन्डस्ट्री को मिलने वाला बिजनेस ऐलोपैथिक फार्मा इन्डस्ट्री को चला जाता है व हमारा टर्न ओवर कम रह जाता है, जबकि खर्चे तो जस के तस रहते हैं। इसका असर तो आखिरकार आयुर्वेद की दवाईयों पर ही पड़ता है।

PILIE Tablet
Complete remedy for piles


VII. सरकार (Government):
बहुत से आयुर्वेद चिकित्सक आयुर्वेद के बजाए ऐलोपैथी चिकित्सा करते हैं, जो ग़लत है। आयुर्वेद चिकित्सकों को आयुर्वेद के माध्यम से ही चिकित्सा करनी चाहिए ।

GYNORM Tablet
Useful in gynec disorders


VIII. न्यायपालिका (Judiciary):
सभी चिकित्सा पद्धतियों के चिकित्सकों को अपनी ही चिकित्सा पद्धति के अनुसार चिकित्सा करना उचित होगा।

MENSIFLO Tablet
Useful in oligomenorrhea


IX. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO):
आयुर्वेद सहित विश्व की सभी पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों का भरपूर लाभ उठाना ज़रूरी है। ऐसा करने पर ही विश्व भर के लोगों को आवश्यक चिकित्सका सुविधाएँ दी जा सकती हैं व उनके स्वास्थ्य का संरक्षण व संवर्धन किया जा सकता है। 

INFEX Tablet
Cures bacterial infections

(Summary of the Lecture delivered on Dec 20, 2016, at Govt. Ayurvedic Hospital, Jammu)
 
 
डाॅ.वसिष्ठ
Dr. Sunil Vasishth
M. + 91-9419205439
Email : drvasishthsunil@gmail.com 

Website : www.drvasishths.com
 

 

No comments:

Post a Comment