Tuesday, December 6, 2016

कहीं आपके रोगी को मैन्टल डिप्रैशन (Mental depression) तो नहीं?

कहीं आपके रोगी को मैन्टल डिप्रैशन (Mental depression) तो नहीं?



बहुत पहले, मैंने एक पश्चिमी चिकित्सक (नाम याद नहीं) का एक लेख पढ़ा जो उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवनकाल के चिकित्सकीय अनुभव बाँटने के लिए लिखा था।

अपने उस लेख में उन चिकित्सक महोदय ने अपने पच्चास वर्षों के चिकित्सकीय जीवन में प्राप्त कई अनुभवों की बहुत बेबाकी से बात की थी।

इन्हीं में से एक अनुभव की बात करते हुए उन्होंने खुले दिल से लिखा - 

मेरे लगभग पच्चास वर्ष के लम्बे करियर में, मेरे पास चिकित्सा के लिए कितने ही रोगी आए। इनमें से कुछ रोगी ऐसे भी रहते थे, जिन्हें तक़लीफ़ें तो कई रहती थीं परन्तु इग्ज़ैमिनेशन व इन्वैस्टिगेशनज़ में कोई ख़राबी नहीं आती थी...

ऐसे रोगियों को मैं यह कह कर कि आपको कोई बीमारी नहीं है बस वहम है, ईलाज बन्द कर देता था...

परिणाम यह होता था कि उनमें से अधिकांश रोगी अपनी तक़लीफ़ों के ईलाज़ के लिए किसी दूसरे, तीसरे, चौथे.... चिकित्सकों के पास व अस्पतालों में चिकित्सा के लिए दरबदर की ठोकरें खाते रहते थे...

दुर्भाग्य से, उन रोगियों में से कुछेक ने तो आत्महत्या तक कर ली...

आज इतने वर्षों के बाद मैं अपनी भूल स्वीकारते हुए कहता हूँ कि वास्तव में वे रोगी किसी वहम का नहीं, बल्कि मैंटल डिप्रैशन का शिकार थे...

काश! यह बात मैं समय रहते समझ पाता तो निश्चित रूप से मैं उन रोगियों की बेहतर चिकित्सा व सहायता कर सकता था...

मैं खासकर युवा चिकित्सकों को यह सुझाव देता हूँ कि चिकित्सा के लिए आने वाले ऐसे किसी भी रोगी को, जिसकी इग्ज़ैमिनेशन व इन्वैस्टिगेशन्ज़ में कोई ख़राबी न मिले, वहमी कहने से पहले यह अवश्य सोच लें कि कहीं इस रोगी को मैन्टल डिप्रैशन (Mental depression) तो नहीं?

हो सकता है उसे डिप्रैशन ही हो।'

पश्चिम के उन वरिष्ठ चिकित्सक महोदय के उस लेख का मेरे मन-मस्तिष्क पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि मैंने आज तक उनके कहे शब्दों को सदा याद रखा है।

इसका फल यह हुआ कि मैंने अपने तीस वर्षों में फैले चिकित्सा काल में ऐसे अनगिनत रोगियों की दबी-छिपी मैन्टल डिप्रैशन (Mental depression) का सफल निदान व चिकित्सा की, जिन पर अन्य चिकित्सकों ने या तो वहमी  का लेबल लगा दिया था, या फिर बताई गई तक़लीफ़ों के आधार पर ही उनका ईलाज़ (Symptomatic treatment) किया था।

चिकित्सा के लिए आने वाले ऐसे रोगियों की कुछ मुख्य शिकायतें, व उनके आधार पर कुछ चिकित्सकों द्वारा किया गया (मिथ्या) निदान व चिकित्सा इस प्रकार रहते थे - 

सीने में दर्द / भारीपन होता है...
ऐसी शिकायत करने वाले रोगियों का एॅन्जायना (Angina) निदान करके उन्हें बरसों तक नाइट्रेट्स (Nitrates), बीटा-ब्लाॅकर्स (Beta-blockers), कैल्शियम चैनल ब्लाॅकर्स (Calcium channel blockers), स्टैटिन्स (Statins) इत्यादि दवाएँ खिलाई जाती थीं।

या फिर, सामान्य मांस-अस्थिगत वेदना (Non-specific musculo-skeletal pain) निदान करके बरसों तक दर्द-निवारक (Analgesic), शोथहर (Anti-inflammatory), मांस-जाड्यहर (Muscle relaxant) औषधियाँ प्रयोग कराई जाती थीं। 

भूख नहीं लगती / गैस बनती है / डकारें आती हैं...
ऐसी शिकायत करने वाले रोगियों का ए.पी.डी. (APD) निदान करके बरसों तक एण्टैसिड्स (Antacids), एॅच.2 ब्लाॅकर्स (H2 blockers), व बाद में प्रोटाॅन पम्प इन्हिबिटर्ज़ (PPIs) खिलाए जाते थे।

या फिर, अपचन (Indigestion / Dyspepsia) निदान करके बरसों तक एॅन्जाइम्स (Enzymes) व एण्टैसिड्स (Antacids) खिलाए जाते थे।

कमर में दर्द रहता है...
ऐसी शिकायत करने वाले रोगियों का 
लो बैक-एक (Low backache) या फिर लम्बर-स्पाॅण्डिलोसिस (Lumbar spondylosis) निदान करके बरसों तक दर्द-निवारक (Analgesic), शोथहर (Anti-inflammatory), मांस-जाड्यहर (Muscle relaxant) औषधियाँ व फिज़िओथैरॅपी प्रयोग कराई जाती थीं। 

कब्ज़ रहता है, पेट साफ नहीं होता...
ऐसी शिकायत करने वाले रोगियों का 
हैबीच्युअल काॅन्स्टीपेशन (Habitual constipation) निदान करके उन्हें बरसों तक लैग्ज़ेटिव्ज़ (Laxatives) व एॅनिमा (Enema) दिया जाता था।

सिरदर्द रहता है...
ऐसी शिकायत करने वाले रोगियों का
दिमाग़ी तनाव से सिरदर्द (Tension headache) निदान करके बरसों तक सिरदर्द दूर करने वाली दवाएँ तथा कुछ नशीली गोलियाँ खिलाई जाती थीं।

कमज़ोरी / थकावट रहती है / वजन कम हो रहा है...
ऐसी शिकायत करने वालों का सामान्य दौर्बल्य (General weakness) निदान करने के बाद उन्हें लम्बे समय तक विटमिन्स (Vitamins), टाॅनिक्स (Tonics), प्रोटीन सप्लिमेंट्स (Protein supplements), व एॅनाबाॅलिक स्टिराॅयड्स (Anabolic steroids) दिए जाते थे।

नींद नहीं आती / ज़ल्दी खुल जाती है / गहरी नहीं आती / काम आती है...
ऐसी शिकायत करने वाले रोगियों का निद्रानाश (Insomnia) निदान करने के बाद उन्हें नींद की गोलियाँ लिख दी जाती थीं, जिन्हें कोई रोगी बरसों तक बिना वास्तविक सुधार के लेते रहते हैं।

काश!...
इन सब रोगियों को मिथ्या निदान व चिकित्सा (Wrong diagnosis & treatment) से बचाया जा सकता था, यदि चिकित्सक थोड़ा सा कष्ट करके इन शिकायतों का ईलाज़ (Symptomatic treatment) न करके इनके असली कारण - मैन्टल डिप्रैशन (Mental depression) - को पहचान पाते व उसका उचित ईलाज़ करते!


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काश, ऐसा होता! 



डाॅ.वसिष्ठ
Dr. Sunil Vasishth
M. + 91-9419205439
Email : drvasishthsunil@gmail.com
Website : www.drvasishths.com

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