Wednesday, December 21, 2016

सायन-औषधियाँ:

अनेकों रोगों में प्रभावशाली

(Antioxidants: Effective in many disorders)

 
 
मैं आपसे एक प्रश्न पूछता हूँ । 

नीचे लिखे अनेकों रोग-समूहों (Groups of diseases) में क्या समानता (Common) है -   

1. दौर्बल्य (Weakness) -
  • सामान्य दौर्बल्य (General weakness)
  • रोगोत्तर दौर्बल्य (Weakness during convalescence)।

2. धातुक्षय-जन्य रोग (Degenerative disirders) -
  • पाण्डु / अल्प-रक्तता (Anemia)
  • सन्धिक्षय (Osteoarthritis)
  • अस्थिक्षय (Osteoporosis)
  • मांसक्षय (Muscle wasting)
  • शुक्रक्षय (Oligospermia)।
 
3. ज्वर व उससे होने वाले कई प्रकार के रोग (Infections & infectious disorders)

4. ओजःक्षय व उससे होने वाले रोग (Immune disorders) - 
  • असात्मयता-जन्य रोग (Allergic disorders)
  • आमदुष्टि-जन्य रोग (Immunological disorders )।

5. कुपोषण-जन्य रोग (Nutritional disorders) - 
  • जीवनीय पदार्थों की कमी से होने वाले रोग (Diseases resulting from the deficiency of vitamins)
  • खनिज पदार्थों की कमी से होने वाले रोग (Diseases resulting from the deficiency of minerals)।

6. धात्वाग्नि-मांद्य-जन्य रोग (Metabolic disorders) - 
  • मधुमेह (Diabetes)
  • स्थौल्य (Obesity)।

7. वात-व्याधि (Neuro-endocrine disorders) - 
  • वातवहनाड़ी-दुष्टि (Neuropathy)
  • समान-वायु-क्षय (Hypothyroidism)।

इन रोगों में समानता यह है कि इनकी उत्पत्ति प्राणशक्ति (Vital energy) की कमी से होती है - वही प्राणशक्ति जिसे आयुर्वेद में कफ, बल, ओजस्, प्राण आदि पारिभाषिक शब्दों से वर्णित किया जाता है।

स्पष्ट है प्राणशक्ति की कमी से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक-क्षमता में कमी आ कर देह में रोगोत्पत्ति की आधारशिला रखने की परिस्थितियाँ पैदा होती हैं।

किंतु प्रकृति अत्यन्त बुद्धिमान व जिम्मेदार है। उसने इसका उपाय भी तैयार कर दिया है।

और इस उपाय का नाम है रसायन

सौभाग्यवश, आयुर्वेद के महान मनीषियों ने अनेकों रसायन औषधियों को ढूँढ निकाला है जिनमें मुख्य हैं - 

1. अश्वगंधा (Withania somnifera)
2. शिलाजतु (Asphaltum)
3. आमलकी (Emblica officinalis)
4. यशद (Zinc)
5. अभ्रक (Biotite)
6. मुक्ता / मुक्ताशुक्ति / प्रवाल (Calcium compounds)
7. लौह / मण्डूर / स्वर्णमाक्षिक (Iron compounds)
8. हरीतकी (Terminalia chebula), इत्यादि।
      
औषधीय कर्म (Pharmacological actions)

यह सभी रसायन औषधियाँ अकेले व संयुक्त रूप से निम्न कर्म करती हैं -

  • धातुपोषण (Nutritional supplements)
  • ओजोवृद्धि / बल-वृद्धि / प्राणशक्ति-वृद्धि (Reinforce the immunity and vitality)
  • धातुवृद्धि (Regeneration of the tissues)
  • धात्वाग्नि-वृद्धि (Reinforce metabolism), इत्यादि।

चिकित्सकीय प्रयोग (Therapeutic uses)

इन रसायन औषधियों का अकेले व संयुक्त रूप से उपरोक्त रोगों की चिकित्सा में प्रयोग श्रेयस्कर होता है । इससे न केवल रोग की चिकित्सा करने में सहायता मिलती है, अपितु बहुत बार उसके पुनः उत्पन्न की सम्भावना भी कम होती है।

इसके साथ-साथ इनका उपयोग स्वास्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करने व आदर्श स्वास्थ्य प्राप्त करने हेतु भी किया जाता है।  

 
औषध-योग: 1
शिलाजतु + आमलकी + मुक्ताशुक्ति + स्वर्णमाक्षिक + अभ्रक + यशद का मुख्य रूप से सामान्य रसायन (General tonic & Antioxidant) के रूप में प्रयोग करते हैं - 

MINOVIT Tablet



औषध-योग: 2
अश्वगंधा + शिलाजतु + दुग्धिका + मण्डूकपर्णी + यशद का मुख्य रूप से संधिक्षय (Osteoarthritis - OA) में प्रयोग करते हैं - 

CARTOGEN Tablet
 
 
डाॅ.वसिष्ठ
Dr. Sunil Vasishth
M. + 91-9419205439
Email : drvasishthsunil@gmail.com
Website : www.drvasishths.com

 

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