अनेकों रोगों में प्रभावशाली
(Antioxidants: Effective in many disorders)
मैं आपसे एक प्रश्न पूछता हूँ ।
नीचे लिखे अनेकों रोग-समूहों (Groups of diseases) में क्या समानता (Common) है -
1. दौर्बल्य (Weakness) -
- सामान्य दौर्बल्य (General weakness)
- रोगोत्तर दौर्बल्य (Weakness during convalescence)।
2. धातुक्षय-जन्य रोग (Degenerative disirders) -
- पाण्डु / अल्प-रक्तता (Anemia)
- सन्धिक्षय (Osteoarthritis)
- अस्थिक्षय (Osteoporosis)
- मांसक्षय (Muscle wasting)
- शुक्रक्षय (Oligospermia)।
3. ज्वर व उससे होने वाले कई प्रकार के रोग (Infections & infectious disorders)
4. ओजःक्षय व उससे होने वाले रोग (Immune disorders) -
- असात्मयता-जन्य रोग (Allergic disorders)
- आमदुष्टि-जन्य रोग (Immunological disorders )।
5. कुपोषण-जन्य रोग (Nutritional disorders) -
- जीवनीय पदार्थों की कमी से होने वाले रोग (Diseases resulting from the deficiency of vitamins)
- खनिज पदार्थों की कमी से होने वाले रोग (Diseases resulting from the deficiency of minerals)।
6. धात्वाग्नि-मांद्य-जन्य रोग (Metabolic disorders) -
- मधुमेह (Diabetes)
- स्थौल्य (Obesity)।
7. वात-व्याधि (Neuro-endocrine disorders) -
- वातवहनाड़ी-दुष्टि (Neuropathy)
- समान-वायु-क्षय (Hypothyroidism)।
इन रोगों में समानता यह है कि इनकी उत्पत्ति प्राणशक्ति (Vital energy) की कमी से होती है - वही प्राणशक्ति जिसे आयुर्वेद में कफ, बल, ओजस्, प्राण आदि पारिभाषिक शब्दों से वर्णित किया जाता है।
स्पष्ट है प्राणशक्ति की कमी से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक-क्षमता में कमी आ कर देह में रोगोत्पत्ति की आधारशिला रखने की परिस्थितियाँ पैदा होती हैं।
किंतु प्रकृति अत्यन्त बुद्धिमान व जिम्मेदार है। उसने इसका उपाय भी तैयार कर दिया है।
और इस उपाय का नाम है रसायन !
सौभाग्यवश, आयुर्वेद के महान मनीषियों ने अनेकों रसायन औषधियों को ढूँढ निकाला है जिनमें मुख्य हैं -
1. अश्वगंधा (Withania somnifera)
2. शिलाजतु (Asphaltum)
3. आमलकी (Emblica officinalis)
4. यशद (Zinc)
5. अभ्रक (Biotite)
6. मुक्ता / मुक्ताशुक्ति / प्रवाल (Calcium compounds)
7. लौह / मण्डूर / स्वर्णमाक्षिक (Iron compounds)
8. हरीतकी (Terminalia chebula), इत्यादि।
औषधीय कर्म (Pharmacological actions)
यह सभी रसायन औषधियाँ अकेले व संयुक्त रूप से निम्न कर्म करती हैं -
- धातुपोषण (Nutritional supplements)
- ओजोवृद्धि / बल-वृद्धि / प्राणशक्ति-वृद्धि (Reinforce the immunity and vitality)
- धातुवृद्धि (Regeneration of the tissues)
- धात्वाग्नि-वृद्धि (Reinforce metabolism), इत्यादि।
चिकित्सकीय प्रयोग (Therapeutic uses)
इन रसायन औषधियों का अकेले व संयुक्त रूप से उपरोक्त रोगों की चिकित्सा में प्रयोग श्रेयस्कर होता है । इससे न केवल रोग की चिकित्सा करने में सहायता मिलती है, अपितु बहुत बार उसके पुनः उत्पन्न की सम्भावना भी कम होती है।
इसके साथ-साथ इनका उपयोग स्वास्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करने व आदर्श स्वास्थ्य प्राप्त करने हेतु भी किया जाता है।
औषध-योग: 1
शिलाजतु + आमलकी + मुक्ताशुक्ति + स्वर्णमाक्षिक + अभ्रक + यशद का मुख्य रूप से सामान्य रसायन (General tonic & Antioxidant) के रूप में प्रयोग करते हैं -
MINOVIT Tablet
औषध-योग: 2
अश्वगंधा + शिलाजतु + दुग्धिका + मण्डूकपर्णी + यशद का मुख्य रूप से संधिक्षय (Osteoarthritis - OA) में प्रयोग करते हैं -
CARTOGEN Tablet
डाॅ.वसिष्ठ
Dr. Sunil Vasishth
M. + 91-9419205439
Email : drvasishthsunil@gmail.com
Website : www.drvasishths.com
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