Wednesday, January 11, 2017

अस्थि-क्षय उपचार अभियान

अस्थि-क्षय उपचार अभियान


प्रिय चिकित्सक श्री!

बाकी दुनिया की तरह, भारत में भी आजकल अनेकों वरिष्ठ नागरिक ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) का शिकार हो रहे हैं, जिसका सबसे अहम दुष्परिणाम होता है - पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर (Pathological fracture)। 

सवाल यह है कि क्या हम आयुर्वेद के चिकित्सक इस समस्या के हल के लिए कुछ महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं?

मेरा मानना है कि - हाँ! हम आयुर्वेद चिकित्सक न केवल ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की रोकथाम में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं, बल्कि इसकी ट्रीटमैंट में भी महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकते हैं।

और, यह सब सम्भव हो सकता है आयुर्वेद में वर्णित अनेकों सिद्धांतों, औषधियों, व आहार-विहार-आचार के युक्ति-पूर्वक उपयोग के द्वारा।

इसके लिए हम आयुर्वेद चिकित्सक एक अभियान में शामिल हो सकते हैं, जिसे हमने नाम दिया है -

OSTEOPOROSIS MANAGEMENT CAMPAIGN (अस्थि-क्षय उपचार अभियान)

इस अभियान के अंतर्गत हम आयुर्वेद चिकित्सक संगठित हो कर निम्न रूप से कार्य कर सकते हैं - 

1. नव-अस्थि-निर्माण (New bone formation) के लिए वर्णित आयुर्वेद के सिद्धान्तों पर एक दूसरे से खुले दिल से चर्चा करें;

2. पूरे आत्मविश्वास के साथ ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की आयुर्वेद चिकित्सा स्वयं भी करें व अन्य आयुर्वेद चिकित्सकों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें; व

3. ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की आयुर्वेद चिकित्सा के अनुभवों को अन्य आयुर्वेद चिकित्सकों के संग खुले मन से शेयर करें।

इसकी शुरुआत हम खुद कर रहे हैं, 
ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की आयुर्वेद चिकित्सा में हमें प्राप्त हुए अनुभवों को, आपके साथ बाँट कर - 
 
I. अस्थि-धातु का निर्माण करने वाली औषधियों का उपयोग करें (Use drugs that improve the osteoblastic activity):

आयुर्वेद में ऐसी अनेकों औषधियाँ हैं जो अस्थि-धातु का निर्माण करने वाले कोषाणुओं (Osteoblats) की क्रियाशीलता (Activity) को बढ़ा कर नव-अस्थि निर्माण (New bone formation) में सहायक सिद्ध होती हैं। इन औषधियों में मुख्य हैं - 

अस्थिशृंखला, ब्राह्मी, मञ्जिष्ठा, कटुकी, अर्जुन, निम्ब, गुडूची, मण्डूकपर्णी, पटोल, वासा इत्यादि।

इनमें से हमें निम्न तीन औषधियाँ सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दीं - 

1. अस्थि-श्रृंखला (Cissus quadrangularis);
2. मण्डूकपर्णी (Centella asiatica); व
3. अर्जुन (Terminalia arjuna)।
 
NUBON Tablet
अस्थिश्रृंखला, अर्जुन, मण्डूकपर्णी


II. अस्थि-धातु का पोषण करने वाली औषधियों का उपयोग करें (Use drugs that supplement materials for new bone formation):

नव-अस्थि-धातु के निर्माण में सहायक  उपरोक्त औषधियों के साथ-साथ कुछ ऐसी औषधियों का उपयोग भी ज़रूरी होता है जो अस्थि-धातु के निर्माण के लिए उपयोगी खनिज पदार्थों - मुख्य रुप से कैल्शियम, व आवश्यक विटामिन्स की आपूर्ति करें। 

आयुर्वेद में ऐसी अनेकों रसायन औषधियाँ हैं जो अस्थि-धातु का निर्माण करने में उपयोगी उपरोक्त पदार्थों की आपूर्ति करती हैं। जैसे - 

  • मुक्ताशुक्ति, मुक्ता, प्रवाल, कुकुटाण्ड-त्वक्, कच्छपास्थि आदि औषधियाँ अस्थि-धातु के मुख्य घटक कैल्शियम (Calcium) की आपूर्ति करती हैं;
  • आमलकी, निम्बुक इत्यादि औषधियाँ विटामिन-सी की आपूर्ति करते हुए, अस्थि-धातु के निर्माण व उसके स्वास्थ्य-रक्षण में सहायक सिद्ध होती हैं;
  • खनिज यशद अस्थि-धातु के निर्माण में सहायक ज़िंक की आपूर्ति करता है; व
  • खनिज अभ्रक अस्थि-धातु के निर्माण में सहायक अनेकों ट्रेस-मिनर्ल्ज़ (Trace minerals) की आपूर्ति करता है।
 
इनमें से हमें निम्न चार औषधियों का संयुक्त उपयोग सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया - 

1. मुक्ताशुक्ति (Mother of pearl)
2. आमलकी (Emblica officinalis)
3. अभ्रक (Biotite)
4. यशद (Zinc)।
 
OSSIE Tablet
मुक्ताशुक्ति, आमलकी, अभ्रक, यशद


III.  तरुणास्थि-वर्धक रसायनों का उपयोग करें (Use drugs that reinforce cartilage regeneration):

तरुणास्थि-धातु के नव-निर्माण व दृढ़ता करने वाले रसायनों (Rejuvetives) के उपयोग से भी नव-अस्थि-धातु के निर्माण की क्रिया में मज़बूती आती है। 

आयुर्वेद में ऐसी अनेकों रसायन औषधियाँ हैं जो विभिन्न प्रकार से कार्य करते हुए तरुणास्थि-धातु का निर्माण करने में उपयोगी सिद्ध होती हैं। जैसे - 

अश्वगंधा, विदारीकन्द, शिलाजतु, गुडूची, यशद, शतावरी, आमलकी, हरीतकी, दुग्धिका, स्वर्ण, मण्डूकपर्णी, अभ्रक इत्यादि।

इनमें से हमें निम्न रसायन औषधियों का संयुक्त उपयोग तरुणास्थि-धातु-वर्धन में सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया - 

1. अश्वगंधा (Withania somnifera)
2. शिलाजतु (Asphaltum)
3. दुग्धिका (Euphorbia thymifolia)
4. मण्डूकपर्णी (Centella asiatica)
5. यशद (Zinc)
 
CARTOGEN Tablet
अश्वगंधा, शिलाजतु, दुग्धिका, मण्डूकपर्णी, यशद


IV. सामान्य रसायनों का उपयोग करें (Use antioxidants):

नव-अस्थि-धातु के निर्माण में सामान्य रसायनों (Antioxidants) के उपयोग से भी नव-अस्थि-धातु के निर्माण की क्रिया में बढ़ौतरी होती है। 

आयुर्वेद में ऐसी अनेकों रसायन औषधियाँ हैं जो विभिन्न प्रकार से कार्य करते हुए अस्थि-धातु का निर्माण करने में उपयोगी सिद्ध होती हैं। जैसे - 

शिलाजतु, आमलकी, गुडूची, यशद, शतावरी, हरीतकी, मण्डूर, दुग्धिका, मुक्ताशुक्ति, स्वर्णमाक्षिक, अभ्रक, अश्वगंधा, विदारीकन्द,  इत्यादि।

इनमें से हमें निम्न रसायन औषधियों का संयुक्त उपयोग सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया - 

1. शिलाजतु (Asphaltum)
2. आमलकी (Emblica officinalis)
3. मुक्ताशुक्ति (Mother of pearl)
4. स्वर्णमाक्षिक (Iron pyrite)
5. अभ्रक (Biotite)
6. यशद (Zinc)।
 
MINOVIT Tablet
शिलाजतु, आमलकी, मुक्ताशुक्ति, स्वर्णमाक्षिक, अभ्रक, यशद


V. निदान-परिवर्जन कराएँ:

1. मनोशामक मेध्य रसायनों  (Anti-anxiety drugs) का उपयोग करें :

यदि लगता है कि अमुक रोगी में ओस्टियोपोरोसिस का हेतु मनोविषाद (Mental stress) / चिन्ता (Anxiety) है तो मनोशामक मेध्य-रसायनों (Anti-anxiety drugs) का उपयोग करें।  जैसे -  

ब्राह्मी, तगर, शंखपुष्पी, मण्डूकपर्णी, जटामाँसी इत्यादि ।

इनमें से हमें निम्न दो मनोशामक मेध्य रसायन औषधियों का संयुक्त उपयोग हमें सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया - 

1. तगर (Valerian wallichii)
2. ब्राह्मी (Bacopa monnieri)

MENTOCALM Tablet
तगर, ब्राह्मी


2. मनोबल्य मेध्य रसायनों  (Anti-anxiety drugs) का उपयोग करें :

यदि लगता है कि अमुक रोगी में ओस्टियोपोरोसिस का हेतु मनो-अवसाद (Mental depression) है तो मनोबल्य मेध्य-रसायनों (Antidepressant drugs) का उपयोग करें।  जैसे -  

ज्योतिष्मती, अकरकरा, मकरध्वज, वचा, स्वर्ण, गण्डीर, कपिकच्छु इत्यादि ।

इनमें से हमें निम्न मनोबल्य मेध्य रसायन औषधियों का संयुक्त उपयोग सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया - 

1. ज्योतिष्मती (Celastrus paniculatus)
2. अकरकरा (Anacyclus pyrethrum)
3. वचा (Acorns calamus)
4. गण्डीर (Coleus forskohlii)। 

ELEVA Tablet
ज्योतिष्मती, अकरकरा, वचा, गाण्डीर


3. आर्तव-बल्य (Estrogenic drugs) का उपयोग करें :

यदि लगता है कि अमुक रुग्णा में ओस्टियोपोरोसिस का हेतु आर्तवक्षय (Post-menopause) है तो आर्तव-बल्य (Estrogenic drugs) का उपयोग करें।  जैसे -  

शतावरी, अशोक, लोध्र, लज्जालु, मेथी, सोया इत्यादि ।

इनमें से हमें निम्न आर्तव-बल्य औषधियों (Estrogenic drugs) का संयुक्त उपयोग सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया - 

1. शतावरी (Asparagus racemosus)
2. पुञ्जीव (Putrajiva roxburghii)
3. शिलाजतु (Asphaltum)
4. त्रिवंग।
 
FERTIE-F Tablet
शतावरी, पुत्रञ्जीव, शिलाजतु, त्रिवंग


4. शुक्रल औषधियों (Androgenic drugs) का उपयोग करें :

यदि लगता है कि अमुक पुरुष रोगी में ओस्टियोपोरोसिस का हेतु शुक्रक्षय (Male climacteric) है तो शुक्रल (Androgenic drugs) का उपयोग करें।  जैसे -  

पुत्रञ्जीव, कोकीलाक्ष, शिलाजतु, गोक्षुर, यशद, त्रिवंग, अभ्रक, विदारीकन्द, सेमलपुष्प, अश्वगंधा, स्वर्ण, कपिकच्छु, मूसली इत्यादि।

इनमें से हमें निम्न शुक्रल (Androgenic drugs) का संयुक्त उपयोग सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया - 

1. पुञ्जीव (Putrajiva roxburghii)
2. कोकिलाक्ष (Asteracantha longifolia)
3. शिलाजतु (Asphaltum)
4. त्रिवंग। 


FERTIE-M Tablet
पुत्रञ्जीव, कोकिलाक्ष, शिलाजतु, त्रिवंग


5. वृक्क-बल्य औषधियों (Renal corrective drugs) का उपयोग करें :

यदि लगता है कि अमुक रोगी में ओस्टियोपोरोसिस का हेतु वृक्क रोग (Renal diseases) हैं, तो वृक्क-बल्य औषधियों (Renal corrective drugs) का उपयोग करें।  जैसे -  

पुनर्नवा, भूम्यामलकी, गोक्षुर, कासनी, भृंगराज, काकमाची, शिलाजतु, शरपुंखा इत्यादि।

इनमें से हमें निम्न वृक्क-बल्य औषधियों (Renal corrective drugs) का संयुक्त उपयोग सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया - 

1. भूम्यामलकी (Phyllanthus niruri)
2. शरपुंखा (Tephrosia purpurea)
3. काकमाची (Solanum nigrum)।
 
LIVIE Tablet
भूम्यामलकी, काकमाची, शरपुंखा


6. मधुमेहहर औषधियों (Antidiabetic drugs) का उपयोग करें :

यदि लगता है कि अमुक रोगी में ओस्टियोपोरोसिस का हेतु मधुमेह (Diabetes) है, तो मधुमेहहर औषधियों (Antidiabetic drugs) का उपयोग करें।  जैसे -  

मामज्जक, मेषशृंगी, लता-करञ्ज, कटुकी, इन्द्रवारुणी, पिप्पली, रक्तमरिच, भूम्यामलकी, काकमाची, शिलाजतु, शरपुंखा, असन, जम्बू, बिल्वपत्र इत्यादि।

इनमें से हमें निम्न मधुमेहहर औषधियों (Antidiabetic drugs) का संयुक्त उपयोग सबसे अधिक प्रभावशाली दिखाई दिया - 

1. मामज्जक (Eniscostemma littorale)
2. मेषशृंगी (Gymnemma sylvestre)
3. लताकरञ्ज (Solanum nigrum)
4. कटुकी (Picrorrhiza kurroa)
5. इन्द्रवारुणी (Citrullus colocynthis)
6. पिप्पली (Pippali)
7. रक्त-मरिच (Capsicum frutescence)
 
GLYCIE Tablet
मामज्जक, मेषशृंगी, लताकरञ्ज, कटुकी, इन्द्रवारुणी, पिप्पली, रक्त-मरिच


7. विषाक्त-द्रव्यों का परिवर्जन (Avoid toxic substances):

यदि लगता है कि अमुक रोगी में ओस्टियोपोरोसिस का हेतु विषाक्त-द्रव्य का सेवन है, जैसे - तम्बाकू, मद्य, स्टीराॅयड्स, अम्लपित्त चिकित्सा में प्रयुक्त PPIs, Chemotherapy, हैं, तो इनका यथासम्भव परिवर्जन करें।

VI.आहार-विहार (Lifestyle):

1. आहार - कैल्शियम-आपूर्ति-कारक खाद्य पदार्थ:
  • दुग्ध व दुग्ध-विकार;
  • हरित् शाक : पालक, शलगम, बन्दगोभी, शतावरी, ब्रोकली, मशरूम इत्यादि;
  • बीन्स;
  • रसोन;
  • तलसी;
  • पुदीना;
  • दालचीनी;
  • सन्तरा, निम्बू इत्यादि ।

2. व्यायाम (Exercise):
  • योगासन;
  • नृत्य;
  • तैरना;
  • एरोबिक्स;
  • साईकिल चलाना इत्यादि ।

3. आचार (Behaviour)
  • सद्वृत्तपालन;
  • सत्वावजय;
  • यम-नियम पालन।

4. मनोविश्राम (Mental relaxation):
  • प्रत्याहार (Withdrawal of attention from the outside world);
  • धारणा (Feeling our own existence);
  • ध्यान (Concentration on one point/aspect);
  • समाधि (Merger in the Universal Consciousness)।
 
 
 
डाॅ.वसिष्ठ
Dr. Sunil Vasishth
M. + 91-9419205439
Email : drvasishthsunil@gmail.com 

Website : www.drvasishths.com
 

 

No comments:

Post a Comment