Monday, December 28, 2020

Dr.Vasishth's AYURVEDIC MANAGEMENT OF GOUT

 Dr.Vasishth's

Applied Ayurvedic Management of Gout

वातरक्त रोग का व्यावहारिक आयुर्वैदिक उपचार

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Dr. Brijbala Vasishth MD (Ay-Kayachikitsa)

Dr. Sunil Vasishth MD (Ay-Kayachikitsa), PhD (Hridroga)


निम्न रीति से की गयी व्यावहारिक आयुर्वैदिक चिकित्सा, वातरक्त रोग (Gout / Hyperuricemia) में काफी लाभप्रद पायी जाती है - 


चिकित्सा सूत्र:

I. शोथ-वेदनाहर (वातहर) औषधियों का प्रयोग करें (Anti-inflammatory / Analgesic drugs);

II. धात्वाग्नि-साम्यक् औषधियों का प्रयोग करें (Drugs to restore normal metabolism);

III. संशोधन औषधियों का प्रयोग करें (Purificatory drugs); तथा

IV. पथ्य-अपथ्य का यथा उचित पालन कराएँ (Lifestyle modifications)।


चिकित्सा (Treatment)

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I. वातहर / शोथ-वेदनाहर औषधियाँ (Anti-inflammatory / Analgesic Drugs):

वातरक्त (Gout / Hyperuricemia) का रोगी जब दारुण वेदना सहित, तीव्र सन्धि-शोथ (Acute arthritis with excruciating pain) की अवस्था में चिकित्सा के लिए आता है तो सबसे पहले इन दो कष्टों/विकृतियों का निवारण करने के लिए निम्न शोथ-वेदनाहर औषधियों (Anti-inflammatory / Analgesic Drugs) का प्रयोग करें - 


i. शोथहर (Anti-inflammatory) औषधियाँ -

• शल्लकी (Shallaki tab), एरण्डमूल (Erandmula ext tab), जातीफल (Jatiphal ext tab)। इन तीनों को एकल औषधियों के रूप में, अथवा इनसे बनी शास्त्रीय / अनुभूत औषधियों से शोथ कम करें। हमने इन तीनों औषधियों से बनी लोस्वैल टैब्लॅट (Loswel tab) को अधिक प्रभावशाली पाया है। कारण, शल्लकी शोथ कम करने वाली औषधियों में श्रेष्ठ है, एरण्डमूल शोथ कम करने के साथ-साथ मांसपेशियों को शिथिल (Muscle relaxant) करने वाला भी है, तथा जातीफल शोथ कम करने के साथ-साथ विश्वस्त वेदनाहर भी है। 

• अश्वगन्धा (Ashwagandha ext tab), गुडूची (Guduchi ext tab), तुलसी (Tulasi ext tab), को अकेले अथवा इनसे बने शास्त्रीय / अनुभूत औषध-योगों का भी उपयोग शोथ कम करने के लिए कर सकते हैं।  अश्वगन्धा, गुडूची, तुलसी, पिप्पली, व यशद से बनी इम्यूनी टैबलॅट (Imunie tab) का उपयोग भी कर सकते हैं, जो शोथ कम करने के साथ-साथ ओजःवर्धक (Immune-boosting) तथा आमविषहर (Immuno-modulator) का काम भी करती है।

• सुरञ्जान (Suranjan ext tab, गुग्गुलु (अमृता गुग्गुलु, कैशोर गुग्गुलु, त्रिफला गुग्गुलु), दशमूल (Dashmula ext tab), हरिद्रा (Haridra ext Tab / हरिद्रा खण्ड), रास्ना (Rasna ext tab / रास्ना सप्तक क्वाथ) इत्यादि औषधियों को अकेले अथवा इनसे बने शास्त्रीय/अनुभूत औषध-योगों के द्वारा शोथ कम कर सकते हैं। 


ii. वेदनाहर (Analgesic) औषधियाँ -

वातरक्त में वेदना प्रायः तीव्र, दारुण, व असहनीय होती है। इसके लिए हमने निम्न दो औषध-योगों को प्रभावशाली पाया है -  

• वत्सनाभ, गोदन्ती, जातीफल से बनी डोलिड टैब्लॅट (Dolid tab); तथा

• तगर, पारसीक यवानी, रक्तमरिच, जातीफल (DeAlco tab)।


इनमें से डोलिड टैब्लॅट का वेदनाहर प्रभाव आधे घण्टे के भीतर आना शुरू होता है व 4-6 घण्टों तक रहता है। डीएॅल्को टैब्लॅट का वेदनाहर प्रभाव 1-2 घण्टों में आना शुरू होता है व 8-12 घण्टों तक रहता है।


II. धात्वाग्नि-साम्यक् औषधियाँ (Drugs to restore normal metabolism):

ये औषधियाँ धात्वग्नि-क्रिया में साम्यता ला कर आमदोष / रक्तदोष (Uric acid) की उत्पत्ति को प्राकृत अवस्था में लाती हैं।  इनमें मुख्य औषधियाँ हैं - 


• भूम्यामलकी (Phylocil tab);

• काकमाची, शरपुंखा, भूम्यामलकी (Livie tab / अर्क मकोय);

• गुडूची (Guduchi ext tab / संशमनी वटी / अमृता-गुग्गुलु);

• मधुयष्टी (Madhuyashti ext tab / यष्ट्यादि चूर्ण);

• आमलकी (Amalaki ext tab);

• निम्ब (Nimba ext tab / निम्बादि चूर्ण / पञ्चतिक्त-घृत-गुग्गुलु) 


इन औषधियों को अकेले अथवा इनसे बने शास्त्रीय /अनुभूत औषध-योगों का लगातार लम्बे समय तक उपयोग कराना अनिवार्य होता है, ताकि प्युरीन मैटाबाॅलिज़्म से बनने वाले यूरिक अम्ल की उत्पत्ति कम ही जा सके।  


III. संशोधन औषधियाँ (Purificatory drugs):

ये औषधियाँ आमदोष / रक्तदोष (Uric acid) के देह से निष्कासन को बढ़ा कर उसे प्राकृत अवस्था में लाती हैं।  इनमें मुख्य औषधियाँ हैं - 


• कटुकी (Katuki tab / आरोग्यवर्धिनी / पञ्चतिक्त-घृत-गुग्गुलु);

• वरुण, पाषाणभेद, शिलापुष्प (यूरिस्टोन्ज़ / Uristonz tab);

• पुनर्नवा (Punarnava ext tab / पुनर्नवाष्टक क्वाथ-घन टैब्लॅट);

• हरीतकी (Haritaki ext tab / एरण्ड-भृष्ट हरीतकी);

• एरण्डतैलम् (Castor oil) ।


इन औषधियों को अकेले अथवा इनसे बने शास्त्रीय /अनुभूत औषध-योगों का लगातार लम्बे समय तक उपयोग कराना अनिवार्य होता है, ताकि अत्यधिक मात्रा में बने यूरिक अम्ल को मल-मूत्र के द्वारा निष्कासित करके, रस-रक्त (Blood) में उसका स्तर कम किया जा सके।  


IV. आहार-विहार (Lifestyle):

1. पथ्य (Do's): काॅफ़ी, अल्पवसा दुग्ध (Low fat milk), आमला, संतरा, निम्बू ।

2. अपथ्य (Don'ts): मांसाहार, मत्स्याहार, मद्यपान, मांसवर्गीय आहार (Purine-rich) द्रव्य (दालें, मटर, चना, राजमाश), फलशर्करा (Fructose), Cyclosporins, Chondroitin sulphate, Chemotherapy, Antihypertensive drugs.


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Produced & shared for the information of AYUSH doctors, by:


Dr.Vasishth's AyuRemedies

डाॅ.वसिष्ठस् आयुरैमॅडीज़

M. 9419205439

Email: dvfiblon@gmail.com 

Website: www.drvasishths.com

2 comments:

  1. Dwibahshi's Japa Puspa is prepared from over fifty ayurvedic herbs, spices and minerals, that are enriched with abundant benefits that boost immunity, making it a powerful herbal remedy
    hibiscus flower powder

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  2. Very nice article, Consuming Shallaki tablets treats asthma and other respiratory problems

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